राजस्थान व झुंझुनूं प्रमुख रूप से चमगादड़ की विविधता के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। राजस्थान में 25 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती है। जिसमें 3 फल चमगादड़ व 22 कीट खाने वाली प्रजाति पाई जाती है। चमगादड़ तिलचट्टे, मेढ़क, मक्खियों और मुख्य रूप से मच्छरों को खाते हैं. एक चमगादड़, एक घंटे में 1,200 से भी ज़्यादा मछरों को खाता है. इन मच्छरों की वजह से मलेरिया, टायफायड, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियां फैलती हैं चमगादड परागण तथा छोटे कीट-पतंगों का शिकार करते हैं, जिन कीट-पतंगों की वजह से मनुष्य और फसलों को तरह-तरफ़ का रोग होता है. चमगादड उनको खाकर फसलों के लिए जैविक कीटनाशक का काम करते हैं. वर्तमान में कोरोनावायरस महामारी की वजह से चमगादड़ बताई जा रही हैं. ऐसा माना जा रहा है कि यह वायरस चमगादड़ से ही मनुष्य के शरीर में आया है. जिससे चमगादड़ की एक नकारात्मक छवि बनी है. ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि इस महामारी के बाद की चमगादड़ को लेकर नकरात्मकता बढ़ सकती है, जिससे इस जीव के अस्तित्व पर ख़तरा भी उत्पन्न हो सकता है. पर वर्तमान वैज्ञानिक युग में यह सोचना जरूरी होगा जो मनुष्य के उदभव से मानव उपयोगी रहा हो वो केसे इस महामारी फेला सकता है। वैसे 60 प्रकार के वायरस चमगादड़ में पाए जाते हैं परन्तु ये किसी मनुष्य में नहीं फैलते। यदि वर्तमान में प्रकाशित कॉरोना संबंधी अनुसंधान पत्रो को देखे तो कहीं पर कोरॉना के लिए चमगादड़ ज़िमेदार नहीं है। कोविड 19 चमगादड़ से नहीं फैलता।
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